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Suresh Gorana

कोरोना महामारी के चलते एक साल से जिंदगी जैसे थम ही गयी...

कोरोना महामारी के चलते एक साल से जिंदगी जैसे थम ही गयी,

कहीं तो होगी धैर्य और विश्वास की सीमाएँ जरुर...

अपनों को खोने का गम है यह कैसा?

कि अंतिम यात्रा में भी ना हो कोई अपना,

जैसे आँसुओं के घुट और ज़हर लगे एक समान...

काश सभी होते राजनेता अगर,

कोरोना कोशों दूर दिखता ही नहीं;

फिर चाहे हो चुनाव या हो अंतिम यात्रा,

सब कुछ होता एक समानः बस उत्सव ही उत्सव...

कोरोना महामारी के चलते एक साल से जिंदगी जैसे थम ही गयी,

कहीं तो होगी धैर्य और विश्वास की सीमाएँ जरुर?

मन पूछता बस यह एक ही सवाल बार-बार...

लोकतंत्र यह कैसा?

जनता दिखाई देती हैः बस नाचने और गाने में;

जैसे राजनेता हो कोई राजाओं से कम नहीं...

कोरोना महामारी के चलते एक साल से जिंदगी जैसे थम ही गयी,

कहीं तो होगी धैर्य और विश्वास की सीमाएँ जरुर?

जैसे आँसुओं के घुट और ज़हर लगे एक समान;

सिर्फ जनता को...

सब कुछ होता एक समानः बस उत्सव ही उत्सव;

सभी राजनेताओं के लिए..

कोरोना महामारी के चलते एक साल से जिंदगी जैसे थम ही गयी,

फिर भी,

कहीं तो होगी धैर्य और विश्वास की सीमाएँ जरुर...

कहता हूँ,

घैर्य रखें और विश्वास करें:

दो गज़ की दूरी और मुंह पर नाक तक मास्क है अत्यंत जरुरी।


Let us talk something more useful and COVID-19 pandemic will surely end sooner.

I asked on all social media, all states govt., centre govt., and most of agriculture related world forums:

“What if food contains Heavy metals, Arsenic, Cadmium, Chromium, Copper, Mercury, Nickel, Lead and Zinc, say in traces?”

No one yet responded.

But I say following from my own experiments and experience in farming, almost of a decade long now:

“Organic food, vegetables and fruits we get from market can or may contain these.

Plus,

Are we paying premium for these?”

I would better avoid organic and eat normal. Pesticides free farming is of course unthinkable these days and a long way,

though at SCA VATIKA we are 100% successful in doing pesticides free farming since several farming seasons continually.

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