श्रीमद्भागवत-महापुराण का पारायण श्री दिलीपभाई गोराना द्वारा संपूर्ण श्रध्धा और भक्तिभाव से ईस पुरुसोत्तम मास (18 सितंबर से 17 अक्तुबर 2020) के पावन समय और कोरोना महामारी की विश्वव्यापी गंभीर विपदाओं के बीच SCA Vatika में एकमात्र श्रोता कु. ईन्दुबेन गोराना के समक्ष करना ठीक वैसे रहा जैसे भगवान श्रीकृष्ण का भीषण युध्ध स्थली कुरुक्षेत्र के बीच सिर्फ अर्जुन को गीता उपदेश का सुनाना था ।
The entire discourses by Dilip Gorana at SCA VATIKA where Indu Gorana and myself are only two listeners, (like Lord Krishna spoke GITA only to Arjuna and not to great and mammoth armies standing in middle of the battlefield of Kurukshetra) during this Purushottam Month from 18th September to 17th October 2020.
श्रीमद्भागवत-महापुराण (12 स्कन्ध और 345 अध्याय) का कुल 36 घंटो का पठन श्री दिलीपभाई ने जीवन में पहलीबार किया है फिरभी बहुत ही भावपूर्ण एवं क्षतिरहित किया है। संकलित संपूर्ण फिल्म 1 से 7 भागो में कुल 9 घंटो कि अवधि में प्रस्तुत ठीक वैसे ही की गयी है जैसे मूक बनकर मैंने सुनी है ताकि मेरे स्वयं के विचारों से दुषित ना होकर आप सभी भी 100% शुध्धता से श्रीमद्भागवत-महापुराण सुन सकें।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏
Lucky that I first time ever in life not only listening but churning out few gems and that I have shared in earlier parts 1 to 7 with all my beloved family, relatives, and friends without myself speaking a single word as my personal comments.
यहाँ श्रीमद्भागवत-महापुराण पर संकलित फिल्म के अंतिम भाग-8 के तहत मैं अपने विचारों को प्रस्तुत करने का दुःसाहस कर रहा हूँ जो क्षतिरहित ना हो लेकिन निःसंदेह मेरा भावपूर्ण प्रयास जरुर है ।
श्रीमद्भागवत-महापुराण में सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग के समय की कही गयी कथाएं आज के तर्कसंगत समय में चाहे काल्पनिक लगती हो लेकिन भरपूर बोधगम्य है ।
श्रीमद्भागवत-महापुराण में कलियुग में हर परिस्थितिओं में जीने के उत्तम मार्ग भी स्पष्ट किये गये है जिसे अत्यंत संक्षिप्त में निम्न बिंदुओं में कह सकता हूँः
परमात्मा (कुदरत) ने सभी को पर्याप्त समय दिया है जिसे व्यर्थ कभी भी ना गंवाए । समय अनमोल है जो किसीको भी दोबारा नहीं मिलता ।
समय की बरबादी के उदाहरणः
बच्चों के हाथों में मोबाईल का होना
गुगल पर उपलब्ध विविध संदेश, चित्र और विडियो का स्वयं विश्लेषण किये बिना ही रोज-रोज सभी को भेजना
कलियुग में सुखी जीवन जिससे मन संतुष्ट और सदैव शांत रहे ऐसा एकमात्र रास्ता कर्म यानि श्रम ही है ।
दुःख और अशांति के उदाहरणः
बिना श्रम के संचित (इकठ्ठा, जमा की गयी) संपत्ति जैसे भ्रष्टाचार द्वारा या दगाखोरी से
कलियुग में उन्नत जीवन का रास्ता हैः निरंतर आत्ममंथन और आत्मचिंतन करना ।
जीवन में पतन (अधोगति) के उदाहरणः
सच्चाई जाने बिना या सच्चाई जानते हुए भी किसीको भ्रमित करना जैसे राजनीति करना या भ्रमित प्रचार करना
सभी प्रकार के प्रलोभन और दिखावा से दूर रहें और दान-दक्षिणा पर आधारित नहीं रहना चाहिए ।
उदाहरण के लिएः
खूद की शक्तिओं पर पूरा भरोसा रखें और आचार-विचार-व्यवहार में सादगी रखें ।
यानि,
श्रम, श्रद्धा और सादगी जीवन में हरवक्त बनाये रखें ।
कोरोना महामारी से छुटकारा पाना स्वयं के ही हाथों में है । स्वच्छ, संयमित और सावधान रहना ही ईसका अक्सीर ईलाज है ।
ईन तस्वीरों के चारों सुत्र श्रीमद्भागवत-महापुराण का अत्यंत संक्षिप्त निष्कर्ष है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏
श्रीमद्भागवत-महापुराण is truly priceless treasures of practical knowledge to practice in life by everyone, and more so how to make world A better place for generations to come sooner when we win the battle against COVID-19 pandemic.
SCAIE seems to be on the right path and practicing the lessons recommended in श्रीमद्भागवत-महापुराण and on a mission to make world A better place for generations to come.
And I say to myself, Keep it up…
Comentarios