top of page
Suresh Gorana

"हम सब समान है" जय बाबा री..


स्वयं में अखूट विश्वास का मंदिर (Temple of Self-confidence): Temple of Spirit is बाबा रामदेव मंदिर

Dilip Gorana, Indu Gorana and Chirag Gorana singing RamdevJi Bhajans and background supports by DADA, Bai, Lilaben and Suresh Gorana on 6th September 1980 at our home in Wadi, Vadodara.

WhatsApp ringtones


'पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा' को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। जहां भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, वे वहां के शासक थे। हिन्दू उन्हें रामदेवजी और मुस्लिम उन्हें रामसा पीर कहते हैं। मध्यकाल में जब अरब, तुर्क और ईरान के मुस्लिम शासकों द्वारा भारत में हिन्दुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था, तो उस काल में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारिक सिद्ध, संतों और सूफी साधुओं का जन्म हुआ। उन्हीं में से एक हैं रामापीर।

बाबा रामदेव (1352-1385) : बाबा रामदेव को द्वारिका‍धीश (श्रीकृष्ण) का अवतार माना जाता है। इन्हें पीरों का पीर 'रामसा पीर' कहा जाता है। सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिद्ध पुरुषों में इनकी गणना की जाती है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल रुणिचा में मेला लगता है, जहां भारत और पाकिस्तान से लाखों की तादाद में लोग आते हैं।

कुछ विद्वान मानते हैं कि विक्रम संवत 1409 (1352 ईस्वी सन्) को उडूकासमीर (बाड़मेर) में बाबा का जन्म हुआ था और विक्रम संवत 1442 में उन्होंने रुणिचा में जीवित समाधि ले ली। पिता का नाम अजमालजी तंवर, माता का नाम मैणादे, पत्नी का नाम नेतलदे, गुरु का नाम बालीनाथ, घोड़े का नाम लाली रा असवार था।

जन्म कथा : एक बार अनंगपाल तीर्थयात्रा को निकलते समय पृथ्वीराज चौहान को राजकाज सौंप गए। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें राज्य पुनः सौंपने से इंकार कर दिया। अनंगपाल और उनके समर्थक दुखी हो जैसलमेर की शिव तहसील में बस गए। इन्हीं अनंगपाल के वंशजों में अजमल और मेणादे थे। नि:संतान अजमल दंपत्ति श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक थे। एक बार कुछ किसान खेत में बीज बोने जा रहे थे कि उन्हें अजमलजी रास्ते में मिल गए। किसानों ने नि:संतान अजमल को शकुन खराब होने की बात कहकर ताना दिया। दुखी अजमलजी ने भगवान श्रीकृष्ण के दरबार में अपनी व्यथा प्रस्तुत की। भगवान श्रीकृष्ण ने इस पर उन्हें आश्वस्त किया कि वे स्वयं उनके घर अवतार लेंगे। बाबा रामदेव के रूप में जन्मे श्रीकृष्ण पालने में खेलते अवतरित हुए और अपने चमत्कारों से लोगों की आस्था का केंद्र बनते गए।

दलितों के मसीहा : बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर दलित हिन्दुओं का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ाकर शांति से रहने की शिक्षा भी दी। बाबा रामदेव पोकरण के शासक भी रहे, लेकिन उन्होंने राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरूरतमंदों की सेवा भी की। इस बीच उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लोहा भी लिया।

डाली बाई : बाबा रामदेव जन्म से क्षत्रिय थे लेकिन उन्होंने डाली बाई नामक एक दलित कन्या को अपने घर बहन-बेटी की तरह रखकर पालन-पोषण कर समाज को यह संदेश दिया कि कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। रामदेव बाबा को डाली बाई एक पेड़ के नीचे मिली थी। यह पेड़ मंदिर से 3 किमी दूर हाईवे के पास बताया गया है।

क्या है परचा : बाबा ने अपने जीवनकाल में लोगों की रक्षा और सेवा करने के लिए उनको कई चमत्कार दिखाए। आज भी बाबा अपनी समाधि पर साक्षात विराजमान हैं। आज भी वे अपने भक्तों को चमत्कार दिखाकर उनके होने का अहसास कराते रहते हैं। बाबा द्वारा चमत्कार दिखाने को परचा देना कहते हैं। बाबा रामदेव ने इस तरह 24 परचे दिए हैं, जो यहां प्रस्तुत भजन में कहा गया है..

बोलो जय जय बाबा री।

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


Post: Blog2_Post
bottom of page