गत 2 वर्ष से अधिक समय से समस्त विश्व कोरोना (COVID-19, Omnicron) की महामारी से जूझ रहा है। ऐसे समय में सभी को अपने अपने घरों में ही सुरक्षित रहना चाहिए और बिना वज़ह घर से बाहर निकल कर रास्तो पर भीड़ नही करना चाहिए।
साधारण समय में भी सही तरिकों से नर्मदा परिक्रमा करना तो कठिन तप करने के समान है। फिर कोरोना जैसी महामारी के चलते नर्मदा परिक्रमा करना तो बिलकुल भी उचित नही है।
SCA Vatika कोरोना से पुरी तरह से सुरक्षित रही है और बहुत तरह से औरों के लिए मार्गदर्शक एवं प्रेरणादायी रही है, जो मेरे अबतक के सभी Blog में विस्तार से सुविदित है।
हरजगह, रोज-रोज, हरसंभव कोरोना (COVID-19, Omnicron) की महामारी से सुरक्षित रहने के लिए सावधानी अभियान चलाए जा रहे है। लेकिन कोरोना थमने के बजाय बढते ही जा रहा है, आखिर क्यों?
लोगो के धैर्य का बाँध टूटता जा रहा है और यह देखा जा रहा है कि अधिकांश लोग कोई सावधानी नही रख रहे है। यहाँ तक की सरकार के उच्चपदाधिकारी भी कोरोना से संक्रमित होते हुए पाए जाते है, आखिर क्यों?
समस्या-निवारक (troubleshooter) की मेरी क्षमता को तरासने का शायद समय आ गया था, जब मुझे ही SCA Vatika के बाहर जा कर देखना होगा कि आखिर क्यों कोरोना बढते ही जा रहा है। ऐसे में सही होगा कि शब्दो से नही, आम लोगो के बीच साधारण से साधारण तरीको से मुझे खुद ही रहकर स्वयं ही प्रत्यक्ष अनुभूति करना होगा।
बहुत गहराई में अंतर्मन से संभवित रास्ते टटोलते रहा। मेरे बचपन में मेरे पिताजी (दादा) से नर्मदा परिक्रमावासियों की कठिनाईयों के बारे में सुनता था। यह हमारा सौभाग्य भी रहा कि हमारे बाबा रामदेव मंदिर (Temple of Spirit) में ही नर्मदा परिक्रमावासियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था रही है।
और आखिर मुझे रास्ता मिल ही गया। 9 दिसंबर को हमारे दिलीपभाई का जन्मदिन था और उनके जन्मदिन के उपहार में नर्मदा परिक्रमा अर्पित करने का निश्चय बना। सौभाग्य से नर्मदाजी "सरदार सरोवर बाँध" के समीप ही सागर में विलीन होती है जो SCA Vatika से सिर्फ 52 Km की दूरी पर है। और SCA Vatika में हम नर्मदा परिक्रमा के लिये जरुरी सारी और बारिक-से-बारिक तैयारियो में जूट गये।
नर्मदा परिक्रमा कठिनतम वामावर्ती दिशा में (Anticlockwise) शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर (Statue of Unity and Sardar Sarovar Dam) से अमरकंटक को नर्मदाजी के दक्षिणी तट पर 16 दिसंबर 2021 से शुरु की गयी। हमारी समस्त परिक्रमा के दौरान सभी जगह अधिकांश ने हमारी इस वामावर्ती दिशा में यात्रा करने को सही नही कहा क्योंकि यह बहुत ही कठिन है, जब की घडी की सुई की दिशा में (clockwise) यात्रा सरल है जो ज्यादातर परिक्रमावासियो की पसंद है। कहा जाता है कि शुलपानेश्वर से अमरकंटक को नर्मदाजी के दक्षिणी तट पर परिक्रमावासियों को पूरी तरह निर्वस्त्र करके लू्ट लिया जाता था, वहाँ तक की महाभारत काल में अर्जुन भी नही बच सके थे। वैसे भी SCA Vatika महाभारत काल के हिडिंबावन में ही स्थित है। खैर, हमने यह कठिनतम वामावर्ती दिशा को अंजाने में ही चुना था लेकिन अब सही भी लगता हैः
शुलपानेश्वर पर माँ नर्मदाजी के पैरों को छु कर यात्रा की शुरुआत होती है तथा दक्षिणी तट की असुविधाएँ एवं कठिनाईयो को यात्री शुरुआती जोश में सरलता सेे झेल सकता है।
शुलपानेश्वर - अमरकंटक - शुलपानेश्वर वामावर्ती दिशा में माँ नर्मदाजी सदैव यात्रियो के दिल के समीप बाएं को होती है। जैसे कि माँ नन्हे बच्चे को ज्यादातर अपने बाएं कंधे (left shoulder) पर उठाती है।
याद रहे कि नर्मदा परिक्रमा (let it be clockwise or anticlockwise) के दौरान कहीं पर भी माँ नर्मदाजी के तटो को परस्पर बदलना नही चाहिए; फिर चाहे आज वैसा करने के लिए बहुत से पुल बन गये है जिस से रास्ते छोटे और सुविधाजनक लगते है।
हमारी 3000 Km लंबी नर्मदा परिक्रमा शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर (Statue of Unity and Sardar Sarovar Dam) से अमरकंटक को नर्मदाजी के दक्षिणी तट पर 16 दिसंबर 2021 से शुरु की गयी तथा वापसी परिक्रमा अमरकंटक से नर्मदाजी के उत्तरी तट पर भेडाघाट, उज्जैन महाकाल, ओमकारेश्वर और अहिल्या घाट-महेश्वर होते हुए SCA Vatika में 9 जनवरी 2022 को सकुशल, अविरत आनंद से परिपूर्ण हो गयी। यह यात्रा की संपूर्ण फिल्म 23 घंटा (23 hours) के अवघि की बनी है जिसे 15 भागो में क्रमशः मेरे Blogs में आप देख सकते है।
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-1: शुलपानेश्वर से अंजड (तोरणमाल होकर), अवघि 1 hr 34 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-2: अंजड से ममलेश्वर (श्री ओमकारेश्वर), अवघि 2 hr 4 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-3: ममलेश्वर (श्री ओमकारेश्वर) से होशंगाबाद, अवघि 1 hr 22 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-4: होशंगाबाद/झांसीघाट से बरगी बाँघ, अवघि 1 hr 47 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-5: बरगी बाँघ से नर्मदा संगम घाट (महाराजपुर), अवघि 1 hr 16 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-6: महाराजपुर से अमरकंटक (गाडासराई होकर), अवघि 1 hr 31 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-7: अमरकंटक , अवघि 2 hr 15 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-8a: दुर्गा धारा (अमरकंटक, 36गढ), अवघि 1 hr 14 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-8b: दुर्गा धारा (अमरकंटक, 36गढ), अवघि 2 hr 17 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-8c: दुर्गा धारा (अमरकंटक, 36गढ), अवघि 1 hr 24 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-9: दुर्गा धारा (अमरकंटक, 36गढ) से भेडाघाट, अवघि 1 hr 28 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-10: भेडाघाट से उज्जैन, अवघि 1 hr 46 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-11: उज्जैन, अवघि 1 hr 8 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-12: उज्जैन से ओमकारेश्वर, अवघि 2 hr 9 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-13: ओमकारेश्वर, अवघि 2 hr 19 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-14: महेश्वर, अवघि 1 hr 39 min
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-15: परिक्रमा का समापन, सारांश, निष्कर्ष एवं सबक, अवघि 1 hr 40 min
विशेषः
हमारी 3000 Km लंबी नर्मदा परिक्रमा के दौरान हम पाँचो परिक्रमावासी (चार यात्री तो 62-70 वर्ष की आयु के है, जिनका कोरोना से संक्रमित होना बहुत ही संभवित हो सकता था) पुरी तरह से स्वस्थ और पुरे जोश में यात्रा का आनंद लेते रहे, बल्कि SCA Vatika में पाँचो यात्री सकुशल करीब 1 माह तक साधारण से साधारण तरीको से आम लोगो के संग रहकर वापस लौटते ही पहले से भी ज्यादा उमंग, उत्साह और भरपुर ऊर्जा से तुरंत ही सक्रिय हो गये।
यानि,
हम कोरोना पर मानो अद्भुत विजय प्राप्त कर के पुर्णतः सुरक्षित है, आखिर कैसे?
यह जानने के लिए,
आइए चले साथ-साथ नर्मदा परिक्रमा पर (फिल्म के अंतिम भाग-15 तक पुरे संयम और धैर्य के साथ आभासी नर्मदा परिक्रमा पर, means on a virtual Narmada Parikrama) और आप स्वयं ही अविरत आनंद सहित दिव्य अनुभूति कर सकते है। हरि ॐ
अस्तु
हमारी नर्मदा परिक्रमा का मार्गः
SCA Vatika - शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर - तोरणमाल - अंजड - ममलेश्वर (श्री ओमकारेश्वर) - इन्दिरा सागर बाँध - मनरंग आश्रम (रामनगर, चारखेडा) - होशंगाबाद - झांसीघाट - बरगी बाँध - टुनिया गाँव - नर्मदा संगम घाट (महाराजपुर) - गाडासराइ - अमरकंटक - दुर्गा धारा मंदिर - जिलेश्वर धाम - शहडोल - भेडाघाट - सागर - विदिशा - सांची - उज्जैन - देवास - इंदौर - ओमकारेश्वर - अहिल्या घाट, महेश्वर - डेहरी - बाग - कुक्षी - आलिराजपुर - कवाँट - SCA Vatika (Total @ 3000 km)
।। नर्मदे हर ।।
।। हर हर महादेव ।।
हमारी नर्मदा परिक्रमा भाग-1: शुलपानेश्वर से अंजड (तोरणमाल होकर), अवघि 1 hr 34 min
इस भाग-1 के मुख्य बिंदुः
तोरणमाल महाराष्ट का पर्वतीय सैरगाह है। फिर यह कैसे नर्मदा परिक्रमा का हिस्सा हो सकता है? कोई नर्मदा परिक्रमावासी यहाँ आते नही है। कृपया इस फिल्म को देखें और समझिए।
माँ नर्मदाजी के दोनो तट पर ऊचाईयो पर घने जंगल है। जैसे कि सारे पेड़ और पंछी अपने मधुर संगीत से परिक्रमावासियों को क्षणिक विश्राम को बुला रहे हो। इन सभी को मिले बिना परिक्रमा मात्र खुद के शरीर को कष्ट देने के सिवा कुछ भी नही। कृपया इस फिल्म को देखें और फिल्म के बीच-बीच में की जा रही समीक्षा (टीका) को समझिए तब अविरत आनंद की अनुभूति होगी, अवश्य।
प्रकृति के साथ-साथ रहने से पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा। सुख-चैन से जीने का यह एकमात्र सरल रास्ता है। SCA Vatika में देख सकते है कि हम सभी (पशु, पंछी, पेड, पौधे, और हम) सुख-चैन से उत्साहित जीवन जी रहे है।
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