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Suresh Gorana

हमारी नर्मदा परिक्रमाः हेतु, समापन, सारांश, निष्कर्ष एवं सबक

- पृष्ठभूमि -


नर्मदा परिक्रमा कठिनतम वामावर्ती दिशा (Anticlockwise) में शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर (Statue of Unity and Sardar Sarovar Dam) से अमरकंटक तक नर्मदाजी के दक्षिणी तट पर 16 दिसंबर 2021 से शुरु की गयी।

अमरकंटक से नर्मदाजी के उत्तरी तट से होते हुए नर्मदा परिक्रमा SCA Vatika में 9 जनवरी 2022 को परिपुर्ण हो गयी तथा 14 जनवरी 2022 को SCA Vatika में ही अत्यंत सादगीपुर्ण किन्तु दिव्य समापन हुआ।

  • हमारी नर्मदा परिक्रमा का दक्षिणी तट मार्गः

SCA Vatika - शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर - तोरणमाल - अंजड – सियाराम बाबाजी आश्रम - ममलेश्वर (श्री ओमकारेश्वर) - इन्दिरा सागर बाँध - मनरंग आश्रम (रामनगर, चारखेडा) - होशंगाबाद - झांसीघाट - बरगी बाँध - टुनिया गाँव - नर्मदा संगम घाट (महाराजपुर) - गाडासराइ – अमरकंटक

  • ·हमारी नर्मदा परिक्रमा का उत्तरी तट मार्गः

अमरकंटक - दुर्गा धारा मंदिर एवं आश्रम - जिलेश्वर धाम - शहडोल - भेडाघाट - सागर - विदिशा - सांची - उज्जैन - देवास - इंदौर - ओमकारेश्वर - अहिल्या घाट, महेश्वर - डेहरी - बाग - कुक्षी - आलिराजपुर - कवाँट - SCA Vatika


हमारी नर्मदा परिक्रमा का उद्देश्य (हेतु):


हरजगह, रोज-रोज, हरसंभव कोरोना (COVID-19, Omnicron) की महामारी से सुरक्षित रहने के लिए सावधानी अभियान चलाए जा रहे है। लेकिन कोरोना थमने के बजाय बढते ही जा रहा है, आखिर क्यों?


लोगो के धैर्य का बाँध टूटता जा रहा है और यह देखा जा रहा है कि अधिकांश लोग कोई सावधानी नही रख रहे है। यहाँ तक की सरकार के उच्चपदाधिकारी भी कोरोना से संक्रमित होते हुए पाए जाते है, आखिर क्यों?


समस्या-निवारक (Trouble-shooter) की मेरी क्षमता को तरासने का शायद समय आ गया था, जब मुझे ही SCA Vatika के बाहर जा कर देखना होगा कि आखिर क्यों कोरोना बढते ही जा रहा है। ऐसे में सही होगा कि शब्दो से नही, आम लोगो के बीच साधारण से साधारण तरीको से मुझे खुद ही रहकर स्वयं ही प्रत्यक्ष अनुभूति करना होगा।


बहुत गहराई में अंतर्मन से संभवित रास्ते टटोलते रहा। मेरे बचपन में मेरे पिताजी (दादा) से नर्मदा परिक्रमावासियों की कठिनाईयों के बारे में सुनता था। यह हमारा सौभाग्य भी रहा कि हमारे बाबा रामदेव मंदिर (Temple of Spirit) में ही नर्मदा परिक्रमावासियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था रही है।

आखिर मुझे रास्ता मिल ही गया। 9 दिसंबर को हमारे दिलीपभाई का जन्मदिन था और उनके जन्मदिन के उपहार में नर्मदा परिक्रमा अर्पित करने का निश्चय बना। सौभाग्य से नर्मदाजी "सरदार सरोवर बाँध" के समीप ही सागर में विलीन होती है जो SCA Vatika से सिर्फ 52 Km की दूरी पर है।


इसलिए,

नर्मदा परिक्रमा कठिनतम वामावर्ती दिशा (Anticlockwise) में शुलपानेश्वर महादेवजी मंदिर (Statue of Unity and Sardar Sarovar Dam) से अमरकंटक तक नर्मदाजी के दक्षिणी तट पर 16 दिसंबर 2021 से शुरु की गयी।


हमारी नर्मदा परिक्रमा के दक्षिणी तट पर मुख्य पड़ावः

  1. तोरणमाल महाराष्ट का पर्वतीय सैरगाह है। फिर यह कैसे नर्मदा परिक्रमा का हिस्सा हो सकता है? कोई नर्मदा परिक्रमावासी यहाँ आते नही है, लेकिन हमने इसे चुना है कि आखिर इतनी ऊचाई पर धने जंगल और भरपुर पानी से भरा तालाब का होना कुदरत का चमत्कार ही हो सकता है। हमने यहाँ आकर सुना कि यहाँ का तालाब वास्तव में माँ नर्मदाजी ही है जिन्हे गोरखनाथ ने अपने तप से यहाँ प्रकट किया था।

  2. अजंड के समीप 5 Km पर बड़दा नर्मदा घाट

  3. सियाराम बाबाजी आश्रम पर नर्मदा घाट

  4. ममलेश्वर (श्री ओमकारेश्वर) का नर्मदा पर गोमुख घाट

  5. इन्दिरा सागर बाँध, विज्ञान की उपलब्धी

  6. मनरंग आश्रम (रामनगर, चारखेडा) में तपस्वी श्री सिंगाजी महाराज के गुरु ऋषि ने 500 वर्ष पहले अपने तप से इलाहाबाद (प्रयागराज) से माँ गंगाजी को प्रकट किया जो यहाँ एक चमत्कारिक कुएँ में स्थापित है

  7. होशंगाबाद पर नर्मदा घाट (सेठानी घाट)

  8. झांसीघाट गाँव पर नर्मदा घाट

  9. बरगी बाँध, विज्ञान की उपलब्धी

  10. टुनिया गाँव, बरगी बाँध से प्रभावित गाँव जहाँ आदर्श किसान परिवार के साथ रहने की अनुभूति

  11. नर्मदा संगम घाट (महाराजपुर)

  12. गाडासराइ जहाँ संस्कृत (व्याकरण) में BHU से MA तथा श्रीमद्भागवदगीता एवं यजुर्वेद के प्रखर ज्ञानी पंडित श्री रामानुजजी उपाध्याय (उर्फ श्री ऋषभदेव मिश्रा, जो नाम उनके गुरुजी ने रखा) को बेरोरोजगारी के कारण वाहनो का गेराज एवं पंकचर बनाने की दुकान चलाते हुए सुना

  13. अमरकंटक (मध्य प्रदेश), माँ नर्मदाजी का उद्गम स्थल-माई की बगिया


हमारी नर्मदा परिक्रमा के उत्तरी तट पर मुख्य पड़ावः

  1. अमरकंटक (मध्य प्रदेश) नर्मदाजी का उत्तरी तट, राम घाट

  2. दुर्गा धारा मंदिर एवं आश्रम, अमरकंटक (36गढ़)

  3. माई का मंडप

  4. जिलेश्वर धाम

  5. भेडाघाट (शहडोल होकर)

  6. महाकाल, उज्जैन (सागर, विदिशा, सांची होकर)

  7. ओमकारेश्वर (देवास, इंदौर, श्री दिगंबर जैन मंदिर-श्री सिध्दक्षेत्र, सिध्दवरकूट होकर)

  8. श्री सिध्दक्षेत्र दिगंबर जैन मंदिर में पूजा एवं संध्याआरती

  9. 7 Km की मांधाता पर्वत पर ओमकारेश्वर से ओमकारेश्वर (ओमकार यात्रा) दुर्गम पदयात्रा भी हमने की

  10. अहिल्या घाट, महेश्वर

  11. डेहरी, बाग, कुक्षी, आलिराजपुर, कवाँट होकर SCA Vatika


विशेषः

हमारी 3000 Km लंबी नर्मदा परिक्रमा (16 दिसंबर 2021 से 9 जनवरी 2022) के दौरान हम पाँचो परिक्रमावासी (चार यात्री तो 62-70 वर्ष की आयु के है, जिनका कोरोना से संक्रमित होना बहुत ही संभवित हो सकता था) पुरी तरह से स्वस्थ और पुरे जोश में यात्रा का आनंद लेते रहे, बल्कि SCA Vatika में पाँचो यात्री सकुशल करीब 1 माह तक साधारण से साधारण तरीको से आम लोगो के संग रहकर वापस लौटते ही पहले से भी ज्यादा उमंग, उत्साह और भरपुर ऊर्जा से तुरंत ही सक्रिय हो गये।


हमारी 3000 Km लंबी नर्मदा परिक्रमा की संपूर्ण फिल्म 23 घंटा (23 hours) के अवघि की बनी है जिसे 15 भागो में क्रमशः YouTube पर मेरे channel पर ही देख सकते है।

यानि,

हम कोरोना पर मानो अद्भुत विजय प्राप्त कर के पुर्णतः सुरक्षित, स्वस्थ और सक्रिय है, आखिर कैसे?


यह जानने के लिए,

आइए चले साथ-साथ नर्मदा परिक्रमा पर (फिल्म के अंतिम भाग-15 तक पुरे संयम और धैर्य के साथ आभासी नर्मदा परिक्रमा पर, means on a virtual Narmada Parikrama) और आप स्वयं ही अविरत आनंद सहित दिव्य अनुभूति कर सकते है हरि ॐ

अस्तु

।। नर्मदे हर ।।

।। हर हर महादेव ।।


हमारी नर्मदा परिक्रमा पर फिल्म का अंतिम भाग-15ः "परिक्रमा का समापन, सारांश, निष्कर्ष, एवं सबक" अवघि 1 hr 40 min यहाँ प्रस्तुत है।


सारांशः

  • नर्मदा नदी अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से उद्गम होती है और भरुच (गुजरात) के समीप अरब सागर में विलीन होती है। ऐसे नर्मदा नदी तीन राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात को समृद्धि प्रदान करती हुइ कुल 1312 Km की दूरी तय करती है। इसलिए यह माँ नर्मदा कहलाती है जिसके दोनों तट पर अनेको स्वच्छ, सुंदर, सुरमणीय घाट, मंदिर, आश्रम, गाँव और शहर विकसित है, जब कि भिखारियों की संख्या 'ना' के बराबर है। साधु-संत भी सच्चे धार्मिक है और लालच-प्रपंच से दुर है।

  • माँ नर्मदाजी की पैदल परिक्रमा (2800 Km) 3 साल-3 महिने-13 दिन में पुरी की जाती है। हमने 3000 Km की परिक्रमा Car, Bicycles और पैदल 25 दिनो में पुरी की जब कि सारे रास्ते बहुत ही अच्छे और विकसित है।

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर पत्थर की चट्टाने है और गहराई भी ज्यादा है जहाँ पत्थर ही पत्थर है।

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर घने जंगल है जो ज्यादातर सागौन के पेड़ो के अनमोल खजाने है और वहाँ के निवासी-आदिवासी की सांस्कृतिक विरासत है।

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर किसान भी समृद्ध और खुशहाल है।

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर लोग धार्मिक एवं किसी भी मुसीबत या त्रासदी में पिड़ितो की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहते है।

  • हमारी नर्मदा परिक्रमा का समापन बहुत ही सादगी से योगानुयोग 14 जनवरी 2022, उत्तरायण के पावन दिन को हुआ, जो कोरोना समय के अनुरुप ही रखा गया।

निष्कर्षः

  • माँ नर्मदाजी की परिक्रमा धार्मिक श्रध्धा पर आधारित ही होनी चाहिए जब आपका मन सभी प्रकार की असुविधाएँ एवं कष्ट झेलने को तैयार हो।

सबकः

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर साहसिकता और पर्यटको के लिए बहुत जगह है, जैसे पर्वतारोहण, तैराकी, नौका विहार, वानिकी (वन विज्ञान) का अभ्यास, इत्यादि। लेकिन याद रहे कि ऐसे कोई भी प्रयास व्यावसायिक बिलकुल नही होने चाहिए तथा धार्मिक स्थलों को प्राथमिकता होनी चाहिए जो तर्क के बजाय श्रध्धा पर आधारित है।

  • साहसिकता और पर्यटको के लिए माँ नर्मदाजी की परिक्रमा बिलकुल जरुरी नहीं। प्रसासन को इसलिए कडे-से-कडे नियमों को बनाकर अग्रिम इजाजत के बिना किसीको भी इसके लिए माँ नर्मदा के दोनों तट पर किसी भी जगह प्रवेश वर्जित करना चाहिए।

  • माँ नर्मदा के दोनों तट पर सभी मंदिरो में, जैसे कि ओमकारेश्वर मंदिर पर पुजारी के विशेष अधिकार समाप्त कर के भक्तों को सिर्फ कतार में ही दर्शन (बिना कोई प्राथमिकता के) करने की व्यवस्था जल्द से जल्द बनानी चाहिए ताकि अतिसुंदर किये गये विकास का लाभ सभी को बराबर बिना भीड़ एकत्रित किये मिल सके।

  • कोरोना से सुरक्षित रहने का एकमात्र उपाय है, खुद के मुख और पुरीतरह नाक ढके रहे ऐसा N95 ही मास्क हमेशा, हर जगह, हर वक्त पहने रखो। याद रहे, "खुद सुरक्षित तो जग सुरक्षित" और यही एकमात्र बहुत ही सरल तरीके से हम पाँचो परिक्रमावासी करीब 1 माह तक साधारण से साधारण तरीको से आम लोगो के संग रहकर सकुशल वापस लौटते ही पहले से भी ज्यादा उमंग, उत्साह और भरपुर ऊर्जा से SCA Vatika में तुरंत सक्रिय हो गये।

  • हमारी नर्मदा परिक्रमा का सादगीभरा समापन देख कर कह सकते है कि, "What is Grand is not Simple, but what is Simple is certainly the Grandest" मतलब, "जो बड़ा (भव्य) है वह सादगीभरा नहीं होता, लेकिन सादगी भव्य जरुर होती है"

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